स्वास्थ्य मंत्रालय ने फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए नई गाइडलाइंस का नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसके तहत कंपनियां अगर किसी ड्रग को वापस बुलाती हैं, तो उन्हें लाइसेंसिंग अथॉरिटी को इसकी जानकारी देनी होगी।
इसके अलावा अब दवा कंपनियों को अपने सभी प्रोडक्ट्स के डिफेक्ट, खराब गुणवत्ता या गलत प्रोडक्शन के बारे में भी बताना होगा। साथ ही दवाओं की टेस्टिंग WHO और अन्य ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुताबिक करनी होगी।
सरकार ने 28 दिसंबर को एक नोटिफिकेशन जारी करके कंपनियों को यह निर्देश दिया है। हालांकि मीडिया में यह जानकारी 5 जनवरी को आई। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के शेड्यूल M के तहत फार्मास्युटिकल कंपनी के लिए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस बताई गई हैं। नए नोटिफिकेशन में सरकार ने इस शेड्यूल M में नई गाइडलाइन्स जोड़ी हैं।
दरअसल, 2022 में भारत में बनी दवाओं से विदेश में कई लोगों की जान गई थी। इसके चलते केंद्र सरकार ने फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की स्क्रूटनी बढ़ाने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। भारतीय फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री 50 अरब डॉलर की है।
