ED ने ऑनलाइन सट्टा ऐप मामले में अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम लिखा है। दावा है कि सट्टा ऐप के काम से जुड़े लोगों से 508 करोड़ रुपए लिए गए। अब भाजपा और कांग्रेस इस मामले में आमने-सामने है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि राजनीतिक आकाओं के इशारे पर ईडी काम कर रही है।
वहीं मंत्री रामविचार नेताम ने इस मामले में कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि अगर गड़बड़ी नहीं है तो उनको डरने की बात क्या है? अगर गड़बड़ी है तो ED हो या आयकर विभाग हो यह सभी जांच तो करेंगे ही, ऐसे ही छोड़ दें? जांच के लिए एजेंसी बनी है तो अपना काम करेगी। जो संवैधानिक अधिकार प्रदत्त है एजेंसियों को उसके तहत ही कार्रवाई करेंगे।

भूपेश बोले- कूटरचना ईडी की ही
पूर्व CM का नाम आने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि जिस असीम दास के पास से रुपए बरामद हुए थे उसने जेल से अपने लिखित बयान में कह दिया है कि उन्हें भी धोखे में रखकर फंसाया गया है। उन्होंने कभी किसी राजनेता व उनसे जुड़े लोगों को पैसा नहीं पहुंचाया। अब ED दावा कर रही है कि उसने यह बयान भी वापस ले लिया है। यह किस दबाव में हो रहा है, उसे सब जानते हैं।
बघेल ने लिखा कि अब सवाल यह है कि ईडी ने जिस दिन कथित रूप से असीम दास से रुपए बरामद किए थे, उस घटना की पूरी रिकॉर्डिंग ईडी के पास है। इसका मतलब है कि पूरी घटना पूर्व नियोजित थी। इसका मतलब यही है कि इसकी कूटरचना ईडी ने ही की थी।
ईडी ने दावा किया है कि चंद्रभूषण वर्मा ने भी अपना पहले का बयान वापस ले लिया है। हम तो शुरुआत से कह रहे हैं कि ईडी मारपीट से लेकर धमकी देने तक हर हथकंडे अपनाकर मेरा व मेरे सहयोगियों का नाम लेने का दबाव बना रही है। ईडी के नए दस्तावेज से यह और स्पष्ट हो गया है।
बघेल ने लिखा- ED ने बदनामी का हथियार बना लिया
महादेव ऐप के घोटाले की जांच मैंने ही मुख्यमंत्री रहते हुए खुद शुरू की थी। मैं चाहता था कि इस पूरे गिरोह का भंडाफोड़ हो और युवाओं को जुआखोरी की ओर धकेल रहे इस अपराध पर रोक लगे। छत्तीसगढ़ सरकार की इस जांच के आधार पर ही ईडी धन-शोधन का मामला बनाकर जांच कर रही है। दुर्भाग्य है कि ईडी ने जांच को अपराध की बजाय राजनीतिक दबाव और बदनामी का हथियार बना लिया है।