विष्णु देव साय के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की घोषणा होने के बाद उनके गृह जिले जशपुर के सड़कों का हाल जानने दिल्ली से अधिकारियों की एक टीम के जशपुर पहुंचने की खबर है। बताया जा रहा है कि यह टीम जिले की बदहाल सड़क का मुआयना कर रही है और जल्द ही सड़कों की हालत सुधारी दी जाएगी।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली से भूतल परिवहन विभाग के सचिव स्तर के अधिकारी के साथ नेशनल हाईवे के अधिकारी जशपुर पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री के गृह ग्राम बगिया के आसपास की सड़कों को देखने के साथ ही इस बात की भी पड़ताल कर रहे हैं कि बीते 10 साल से बन रही एनएच 43 की सड़क अब तक क्यों नही बन पाई है।
एक्टिव मोड में आया प्रशासन
जशपुर बदहाल सड़कों की समस्या से दशकों से जूझ रहा है, लेकिन अब इस समस्या से निजात मिलने की उम्मीद दिख रही है। विष्णदेव साय के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनते ही प्रशासन एक्टिव मोड में नजर आ रहा है।
रायगढ़ और जशपुर के बीच 10 साल से बन रहा पैच
दरअसल, छत्तीसगढ़ बनने के दो दशक बाद भी यहां के लोग बेहतर आवागमन से वंचित हैं। रायगढ़ और जशपुर के बीच 100 किलोमीटर का पैच पिछले 10 साल से बन रहा है, जो अब तक नहीं बन पाया। उसी तरह पत्थलगांव से कुनकुरी की 60 किलोमीटर की सड़क की हालत भी बदतर है।
रायपुर से जशपुर पहुंचने में लगते हैं 13 -14 घंटे
काफी कशमकश के बाद कुनकुरी से जशपुर तक 42 किलोमीटर फोर लेन सड़क बन चुकी है। रायगढ़ से कुनकुरी के बीच 100 किमी सड़क अगर कंप्लीट हो जाए, तो रायपुर से सात से आठ घंटे में जशपुर पहुंचा जा सकता है। अभी बिना कहीं रुके रायपुर से जशपुर पहुंचने में 13 से 14 घंटे लगते हैं।
सड़कों के नाम पर सिर्फ गड्ढे
राजधानी रायपुर से जशपुर जाने के लिए सबसे सीधा रास्ता रायगढ़़, धरमजयगढ़़, पत्थलगांव, कांसाबेल, कुनकरी है। इसमें रायपुर से रायगढ़ तक फोर लेन बन गया है। मगर उसके आगे सड़कों की हालत खराब है। धरमजयगढ़ तक तो आप किसी तरह पहुंच भी जाएंगे तो उसके आगे पत्थलगांव, कुनकुरी तक सड़कों के नाम पर सिर्फ गड्ढे हैं। धरमजयगढ़ के लोगों को अगर जशपुर जाना है तो पत्थलगांव की बजाए तपकरा होकर जशपुर जाते हैं।
दूसरे प्रदेश की सड़कों का लेना पड़ता है सहारा
दूसरा रास्ता अंबिकापुर से होते हुए है। रायपुर से बिलासपुर, कोरबा और अंबिकापुर के लिए पिछले एक साल में सड़कें कुछ ठीक हो गई है। मगर अंबिकापुर के बाद स्थिति वही है। सड़क पर गड्ढे होने के कारण गाड़ियों को भी संभल कर चलाना पड़ता है। आए दिन हादसा होने आशंका रहती है।
दोनों रास्तों की खराब स्थिति को देखते जशपुर के बड़े नेता, नौकरशाह से लेकर कारोबारी संबलपुर, झारसुगुड़ा, कुनकुरी होकर रायपुर आना-जाना करते हैं। यानी अपने ही प्रदेश में जाने के लिए दूसरे प्रदेश की सड़कों का सहारा लेना।